समस्याओं का कारण हैं कुंडली में भाव का बिगड़ना
कुण्डली में भाव बिगड़ जाने से उत्पन्न होती हैं समस्याएं
पढ़कर किंचित आश्चर्य होगा कि एक भाव के कारण दूसरा भाव बिगड़ रहा है। कैसे? आइये, इस कड़ी में विश्लेषण करते हैं ‘‘पंचम भाव’’ का। पंचम भाव से देखी जानेवाली बातें - संतान, पूर्वजन्मकृत कर्म, शिक्षा, विद्या, बुद्धि। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है - बुद्धि। बुद्धि यदि सही दिशा में है सफलताएं मिलती रहेंगी। यदि बुद्धि ही भ्रष्ट हो गई तो सबकुछ समाप्त। जातक की बुद्धि पर अन्य भावों का प्रभाव पड़ता है। पंचमस्थ ग्रह जिस भाव के अधिष्ठाता हैं उन भावों का असर बुद्धि पर पड़ता है। किसी जातक की कुण्डली देखते समय सर्वप्रथम पंचम भाव का आकलन अत्यंत आवश्यक है क्योंकि नवम भाव/दशम भाव/लग्न भाव अत्यंत बलशाली होते हुए भी यदि बुद्धि दुष्कर्म प्रेरित है या बुद्धि की दिशा सही नहीं है तो भाग्य का पूर्ण उपयोग नहीं किया जा पायेगा। तो उपाय के तौर पर पंचमस्थ ग्रह के भाव के अनुसार आचरण करना पडे़गा। फिर दो अन्य समस्याएं भी हैं - (पहली) चंद्र एवं सूर्य को छोड़कर शेष 5 ग्रहों के पास दो-दो भाव हैं। मान लीजिए शनि पंचम में है तो शनि के पास दो भावों की शक्ति है। किस भाव का प्रभाव ज्यादा है? (दूसरी) यदि पंचम में एक से अधिक ग्रह हैं तो किस ग्रह का प्रभाव ज्यादा है? कई बार 4 या 5 ग्रह भी हो सकते हैं तो 8 या 10 भावों का असर बुद्धि पर पड़ेगा। फिर कैसे तय करेंगे? तो इस सबकी व्यवस्थायें हैं। ग्रह की मूल त्रिकोण राशि तथा ग्रह के अंशो के द्वारा इस बात का समाधान किया जाता है। जो इस विषय पर रूचि रखते हों वे प्रश्न कर सकते हैं। प्रश्न में (1) लग्न स्पष्ट बतायें (2) पंचम पर स्थित ग्रह स्पष्ट बतायें।
मैं डॉक्टर वाणी वेदायनी, इस ब्लॉग के माध्यम से अपनी ज्योतिष, न्यूमरोलॉजी, रेकी हीलिंग एवम् क्रायटल हीलिंग की यात्रा इसलिए साझा करना चाहती हूं कि इन विधाओं के माध्यम से हम अगर अपने जीवन में कुछ सुधार कर पाए तो इनका अध्ययन करना सार्थक होगा। यदि आप इनसे संबंधित कोई भी जानकारी या समस्याओं को लेकर समाधान चाहते हैं, तो इस ब्लॉग से जुड सकते हैं।