वसंत पंचमी: ज्ञान और सरस्वती की आराधना का पर्व

वसंत पंचमी: ज्ञान और सरस्वती की आराधना का पर्व


वसंत पंचमी हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार विद्या, ज्ञान, संगीत और कला की देवी सरस्वती को समर्पित है। इसे श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन वसंत ऋतु का स्वागत किया जाता है, जो प्रकृति में नई ऊर्जा और उमंग का संचार करता है।


वसंत पंचमी का महत्व


1. सरस्वती पूजा: इस दिन देवी सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है।


2. पीले रंग का महत्व: इस दिन पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं और पीले रंग के भोजन जैसे- हलवा, खिचड़ी आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है। पीला रंग बसंत ऋतु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।


3. विद्या आरंभ: छोटे बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत (अक्षरारंभ) इस दिन को शुभ मानी जाती है।


4. कृषि और प्रकृति: इस समय खेतों में सरसों के पीले फूल खिलते हैं और वातावरण सुगंधित हो जाता है, जिससे बसंत ऋतु का आगमन स्पष्ट दिखता है।


वसंत पंचमी की परंपराएँ


लोग प्रातः स्नान कर सरस्वती देवी की पूजा करते हैं।


कई स्थानों पर स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है, विशेषकर उत्तर भारत में यह एक प्रमुख आकर्षण होता है।


इस दिन विद्या और संगीत से जुड़े उपकरणों (पुस्तक, वीणा, पेंसिल आदि) की पूजा की जाती है।


निष्कर्ष


वसंत पंचमी केवल देवी सरस्वती की पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के परिवर्तन, नई ऊर्जा और ज्ञान की शुरुआत का भी प्रतीक है। यह पर्व हमें शिक्षा और संस्कृति के महत्व की याद दिलाता है और उत्साह व उमंग से भर देता है।

Author

Dr Vani Vedaayai has 21 years of experience in the field of astrology For her astrology is not...

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